Database Constraints in Hindi

Constraints in DBMS in Hindi | DBMS में Constraints हिंदी में :


  • कंस्ट्रेंट्स (Constraints) डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली (DBMS) में कुछ नियम या शर्तें होते हैं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि डेटाबेस में डेटा वैध, सुसंगत, और सटीक हो। कंस्ट्रेंट्स का उपयोग डेटा के भीतर होने वाली त्रुटियों को रोकने और डेटा की सत्यता बनाए रखने के लिए किया जाता है। ये नियम डेटाबेस के तालिकाओं (tables) और उनके कॉलम (columns) पर लागू होते हैं, ताकि डेटा की अखंडता (integrity) सुनिश्चित की जा सके।
  • कंस्ट्रेंट्स डेटाबेस की संरचना का एक अनिवार्य हिस्सा हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि डेटाबेस में डाला गया डेटा वैध और सटीक हो। विभिन्न प्रकार के कंस्ट्रेंट्स, जैसे NOT NULL, UNIQUE, PRIMARY KEY, FOREIGN KEY, CHECK, और DEFAULT, डेटा की समग्रता को बनाए रखने और डेटाबेस को त्रुटियों से सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक होते हैं। इन कंस्ट्रेंट्स का सही उपयोग एक प्रभावी, सुरक्षित और सुसंगत डेटाबेस सिस्टम को सुनिश्चित करता है।

  • कंस्ट्रेंट्स यह सुनिश्चित करते हैं कि डेटाबेस में अनुचित या अवैध डेटा प्रविष्टि न हो। उदाहरण के लिए, किसी छात्र का रोल नंबर खाली नहीं हो सकता, या किसी उत्पाद की कीमत शून्य नहीं हो सकती। कंस्ट्रेंट्स का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि डुप्लिकेट, खाली, या गलत डेटा डेटाबेस में दर्ज न हो।

Types of Constraints in DBMS in Hindi | DBMS में  कंस्ट्रेंट्स के प्रकार :

डेटाबेस में विभिन्न प्रकार के कंस्ट्रेंट्स होते हैं, जिन्हें तालिकाओं के कॉलम पर लागू किया जाता है। इन कंस्ट्रेंट्स का मुख्य उद्देश्य डेटा की सटीकता और समग्रता सुनिश्चित करना है। यहां डेटाबेस कंस्ट्रेंट्स के प्रमुख प्रकार दिए गए हैं:

1. NOT NULL Constraint (नॉट नल कंस्ट्रेंट) :

NOT NULL कंस्ट्रेंट का उपयोग तब किया जाता है जब किसी कॉलम में किसी भी पंक्ति के लिए NULL या खाली मान (value) दर्ज करना अस्वीकार्य हो। यह कंस्ट्रेंट सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक पंक्ति के लिए उस कॉलम में कोई वैल्यू जरूर हो।

उदाहरण : अगर किसी तालिका में किसी छात्र का रोल नंबर कॉलम है और उसे NOT NULL कंस्ट्रेंट के साथ परिभाषित किया गया है, तो किसी भी छात्र के लिए रोल नंबर खाली नहीं छोड़ा जा सकता।
CREATE TABLE Students (
    StudentID INT NOT NULL,
    Name VARCHAR(50) NOT NULL,
    Age INT
);

इस उदाहरण में, StudentID और Name कॉलम्स में कोई भी पंक्ति NULL वैल्यू नहीं हो सकती।

2. UNIQUE Constraint (यूनिक कंस्ट्रेंट) :

UNIQUE कंस्ट्रेंट किसी कॉलम में या कॉलम्स के समूह में डुप्लिकेट मानों को रोकता है। यह कंस्ट्रेंट सुनिश्चित करता है कि उस कॉलम में कोई भी वैल्यू केवल एक बार ही हो सकती है।

उदाहरण : अगर किसी तालिका में छात्र का ईमेल पता स्टोर किया जा रहा है, और उसे UNIQUE कंस्ट्रेंट के साथ परिभाषित किया गया है, तो किसी भी छात्र के लिए एक ही ईमेल पता दो बार दर्ज नहीं किया जा सकता।

CREATE TABLE Students (
    StudentID INT NOT NULL,
    Email VARCHAR(100) UNIQUE
);
इस उदाहरण में, प्रत्येक छात्र का ईमेल यूनिक होगा और दो छात्रों के लिए एक ही ईमेल वैल्यू नहीं हो सकती।

3. PRIMARY KEY Constraint (प्राइमरी की कंस्ट्रेंट) :

PRIMARY KEY कंस्ट्रेंट एक तालिका के कॉलम या कॉलम्स के समूह को एक अद्वितीय पहचानकर्ता (unique identifier) के रूप में परिभाषित करता है। यह कंस्ट्रेंट दो चीजें सुनिश्चित करता है:

  • कॉलम का मान यूनिक होना चाहिए (कोई डुप्लिकेट नहीं होगा)।
  • कॉलम का मान NULL नहीं हो सकता (NOT NULL)।
  • उदाहरण : किसी छात्र के डेटाबेस में, रोल नंबर एक प्राइमरी की हो सकता है, क्योंकि यह प्रत्येक छात्र की यूनिक पहचान को दर्शाता है।

CREATE TABLE Students (
    StudentID INT PRIMARY KEY,
    Name VARCHAR(50) NOT NULL
);
यहां StudentID कॉलम प्राइमरी की है, जिसका मतलब है कि इस कॉलम में हर वैल्यू यूनिक होगी और NULL नहीं हो सकती।

4. FOREIGN KEY Constraint (फॉरेन की कंस्ट्रेंट) :

FOREIGN KEY कंस्ट्रेंट एक तालिका में किसी कॉलम को दूसरी तालिका की प्राइमरी की से लिंक करता है। यह कंस्ट्रेंट डेटाबेस की तालिकाओं के बीच संबंधों को परिभाषित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि एक तालिका में डाली गई वैल्यू दूसरी तालिका में पहले से मौजूद हो।

उदाहरण: मान लीजिए हमारे पास Students और Courses दो तालिकाएं हैं। छात्र किस कोर्स में दाखिला ले रहे हैं, यह जानकारी Courses तालिका से लिंक होगी। इसका मतलब है कि छात्र का कोर्स केवल वही हो सकता है जो Courses तालिका में पहले से परिभाषित हो।

CREATE TABLE Courses (
    CourseID INT PRIMARY KEY,
    CourseName VARCHAR(100)
);

CREATE TABLE Students (
    StudentID INT PRIMARY KEY,
    Name VARCHAR(50) NOT NULL,
    CourseID INT,
    FOREIGN KEY (CourseID) REFERENCES Courses(CourseID)
);
इस उदाहरण में, CourseID तालिका Students तालिका में फॉरेन की के रूप में काम करेगी, और यह सुनिश्चित करेगी कि हर छात्र का कोर्स Courses तालिका में पहले से मौजूद हो।

5. CHECK Constraint (चेक कंस्ट्रेंट) :

  • CHECK कंस्ट्रेंट यह सुनिश्चित करता है कि किसी कॉलम में डाली गई वैल्यू कुछ निर्धारित शर्तों को पूरा करती हो। यह डेटा को एक निश्चित रेंज या शर्त के आधार पर सीमित करता है।

उदाहरण : मान लीजिए किसी छात्र की आयु 18 से 25 वर्ष के बीच होनी चाहिए। इसके लिए हम चेक कंस्ट्रेंट लगा सकते हैं।

CREATE TABLE Students (
    StudentID INT PRIMARY KEY,
    Name VARCHAR(50) NOT NULL,
    Age INT CHECK (Age >= 18 AND Age <= 25)
);
इस उदाहरण में, Age कॉलम में सिर्फ 18 से 25 के बीच की वैल्यू ही मान्य होगी, और कोई अन्य वैल्यू स्वीकार नहीं की जाएगी।

6. DEFAULT Constraint (डिफॉल्ट कंस्ट्रेंट) :

DEFAULT कंस्ट्रेंट का उपयोग तब किया जाता है जब किसी कॉलम के लिए कोई वैल्यू प्रदान नहीं की जाती है। यह कंस्ट्रेंट उस कॉलम के लिए एक डिफॉल्ट वैल्यू सेट करता है। अगर यूज़र कोई वैल्यू नहीं देता, तो डेटाबेस इस डिफॉल्ट वैल्यू को दर्ज करेगा।

उदाहरण: अगर किसी छात्र की फॉर्म भरते समय उसकी डिफ़ॉल्ट स्थिति "Active" होनी चाहिए, तो हम इसे DEFAULT कंस्ट्रेंट के साथ सेट कर सकते हैं।

CREATE TABLE Students (
    StudentID INT PRIMARY KEY,
    Name VARCHAR(50) NOT NULL,
    Status VARCHAR(20) DEFAULT 'Active'
);
इस उदाहरण में, अगर किसी छात्र के लिए स्थिति (Status) दर्ज नहीं की जाती, तो उसकी वैल्यू स्वतः 'Active' सेट हो जाएगी।

Importance of Constraints in DBMS in Hindi | DBMS में कंस्ट्रेंट्स का महत्व :

कंस्ट्रेंट्स डेटाबेस के कामकाज में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि डेटाबेस में डेटा की अखंडता बनी रहे और डेटा वैध हो। यहां कुछ मुख्य कारण दिए गए हैं कि कंस्ट्रेंट्स क्यों महत्वपूर्ण होते हैं:

  • डेटा की वैधता : कंस्ट्रेंट्स यह सुनिश्चित करते हैं कि डेटाबेस में डाला गया डेटा वैध हो। वे गलत या अवैध डेटा एंट्री को रोकते हैं।
  • डेटा की समग्रता (Integrity) : कंस्ट्रेंट्स डेटा की समग्रता को बनाए रखते हैं, जिससे डेटाबेस में डेटा का विश्वसनीयता बना रहे और उसमें किसी प्रकार की विसंगति न हो।
  • डेटाबेस की सुरक्षा : कंस्ट्रेंट्स यह सुनिश्चित करते हैं कि डेटा संरक्षित और सुरक्षित रहे। इससे अनधिकृत या गलत डेटा प्रविष्टि को रोका जा सकता है।
  • डेटाबेस का प्रदर्शन : कंस्ट्रेंट्स डेटाबेस के संचालन में मदद करते हैं, क्योंकि वे डेटा को व्यवस्थित और नियंत्रित करने में सहायता करते हैं। यह सिस्टम के प्रदर्शन में सुधार लाता है।
  • डेटाबेस डिज़ाइन में मदद : कंस्ट्रेंट्स डेटाबेस के डिज़ाइन में मदद करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि डेटा का सही और व्यवस्थित प्रवाह हो।



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